Friday, September 24, 2010

कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ ♥


"कुछ जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ ..

कुछ
अपने जज़्बात लिखू या सपनो की सौगात लिखूँ ..

मैं
खिलता सूरज आज लिखू या चेहरा चाँद गुलाब लिखूँ ..

वो
डूबते सूरज को देखूँ या उगते फूल की सांस लिखूँ..

वो
पल में बीते साल लिखू या सदियों लम्बी रात लिखूँ..

सागर
सा गहरा हो जाऊ या अम्बर का विस्तार लिखूँ..

मैं
तुमको अपने पास लिखू या दूरी का एहसास लिखूँ..

मै
अंधे के दिन मै झाँकू या आँखों की मै रात लिखूँ..

वो
पहली पहली प्यास लिखू या निश्छल पहला प्यार लिखूँ..

सावन
की बारिश में भीगूँ या आँखों की बरसात लिखूँ..

मै
हिन्दू मुस्लिम हो जाॐ या बेबस इंसान लिखूँ..

मै
एक ही मजहब को जी लूँ या मजहब की आंखे चार लिखूँ..

कुछ
जीत लिखू या हार लिखूँ या दिल का सारा प्यार लिखूँ ॥"

-
दिव्य प्रकाश दुबे

3 comments:

  1. Thaks for posing my poem on ur blog.It wud be very nice if you put my name along .

    Regards

    DIvya Prakash Dubey

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  2. Divya Prakash jee aapka naam aapki kavita ke neeche likh diya hai.
    Thanks for write that nice poem,,, and i hope ki aap isi tarh likhte rahege..
    Best of luck..

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  3. Hey Thanks a lot for giving space to my words. you can watch the video as well.

    http://www.youtube.com/watch?v=oIv1N9Wg_Kg
    Regards,
    Divya Prakash

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