जमीन ना बन सका मैँ आसमान ना बन पाया..
तेरे हालात पे भी मेहरबान ना बन पाया..
वो मेरी गुजरी हुई जिन्दगी से वाकिफ था..
कोई रिश्ता हमारे दरमियान ना बन पाया..
इस कदर साथ मेरा उनको दुशवार लगा..
लाख कोशिश की मगर कारवां ना बन पाया..
सी लिया होठोँ को मगर फिर भी जुबां खुल ही गयी..
वो सितम देख के मै भी बे जुबाँ ना बन पाया..
जो भी मुझको मिला बस मैनें उसी को चाहा..
कोई किस्सा मेरे तर्ज ऐ बयाँ ना बन पाया..।
तेरे हालात पे भी मेहरबान ना बन पाया..
वो मेरी गुजरी हुई जिन्दगी से वाकिफ था..
कोई रिश्ता हमारे दरमियान ना बन पाया..
इस कदर साथ मेरा उनको दुशवार लगा..
लाख कोशिश की मगर कारवां ना बन पाया..
सी लिया होठोँ को मगर फिर भी जुबां खुल ही गयी..
वो सितम देख के मै भी बे जुबाँ ना बन पाया..
जो भी मुझको मिला बस मैनें उसी को चाहा..
कोई किस्सा मेरे तर्ज ऐ बयाँ ना बन पाया..।
No comments:
Post a Comment